दूसरी मारुती आल्टो और कुश्ती प्रेमियों का दिल हमेशा के लिए जीता जस्सा पट्टी ने।
आज रूबल और जस्सा पट्टी की कुश्ती के बारे में, मैं यदि कुछ कहूंगा तो यही कहूंगा की ये ऐतिहासिक कुश्ती हैं। नूरा कुश्तियों की कब्र पर लड़ी गई ये कुश्ती पंजाबी कुश्ती के एक नंबर होने का प्रमाण हैं। कोई शक ? ये कुश्ती आने वाले हजारों , हजार पहलवानो को मेहनत करने , खून पसीना एक करने का सबक देकर गई हैं। साथ ही इस कुश्ती ने , दो मिनट में जो शमा बांधा , जो हल्ला मचाया , जितना दर्शकों को उन्मादित , उत्तेजित और उल्लासित किया मैंने अपने जीवन में शायद ही देखा हो। जस्सा पट्टी , और रूबल दोनों ही इस अद्भुत कारनामे , पराक्रम और शौर्य की गाथा लिख गए हैं। और दोनों ही पहलवान धन्यवाद और भूरी भूरी प्रशंशा के पात्र हैं। इस को मैं कुश्ती का महामुकाबला ही कहूंगा , और कहूंगा की ये मुकाबला पंजाब में ही बेफिक्र हो कर , निर्भयता लड़ा जा सकता था। जस्सा पट्टी के फैन और उनके चाहे वालों का हक़ भी बनता हैं की वे ,
अपने चहेते पहलवान की जीत पर खुशियां और आनंद मनाएं। और उन्हें रोके भी कौन ? ऐसा होता हैं , भाइयों होता हैं। रूबल के चाहने वाले उन्हें भी ये मौका दें। और रूबल फिर एक बार लड़े जस्सा पट्टी से , अपने फैंस , अपने चाहने वालों की उमीदों पे खरा होके दिखाए। कौन सा दुनिया ख़तम हो रही हैं ? हाँ पूरी दुनिया और खासकर के हिन्दुस्तान के बड़े पहलवानो के लिए ये कुश्ती एक आइना हैं। इस आईने में खुद को देखे और कह दें की हम भी रुस्तम हैं , ये काम हम भी कर दिखाएँगे। और आज से ही , ये नूरा कुश्ती बंद करें। कुश्ती की बेइज्जत्ती हो रही थी , इन पहलवानो ने आज इज्जत लौटा दी। भाइयों बुरा न मानियेगा पर निःस्सन्देह आज का दिन जस्सा पट्टी ही हैं। पहलवान को मेरी तरफ से भी बहुत बहुत बधाइयां।